चीन छोड़कर भारत को नया प्रोडक्शन हब क्यों बना रही हैं जापानी कंपनियाँ?
दुनिया की ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में एक बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है। जापान की दो दिग्गज कंपनियाँ — Toyota और Suzuki — अब चीन से उत्पादन घटाकर भारत को नया मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने की तैयारी में हैं। दोनों कंपनियाँ भारत में मिलकर लगभग 11 बिलियन डॉलर मतलब (₹90,000 करोड़) से ज़्यादा का निवेश करने जा रही हैं।
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क्यों छोड़ रही हैं चीन?
पिछले कुछ सालों में चीन में इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) कंपनियों के बीच तीव्र प्राइस वॉर बढ़ा है।
इसके कारण
1- प्रॉफिट मार्जिन कम हो गया
2- उत्पादन लागत बढ़ गई
3- नियम-कानून और मार्केट प्रतिस्पर्धा और कठिन हो गए
यही कारण है कि विदेशी कंपनियाँ अब चीन से बाहर नई जगह ढूंढ रही हैं, और भारत उनकी पहली पसंद बन रहा है।
भारत क्यों बन रहा है नया हब?Toyota और Suzuki भारत को आने वाले समय में सबसे बड़ा उत्पादन केंद्र मान रही हैं। इसके पीछे कई कारण हैं:
1- भारत में श्रम लागत कम है
2- सरकारी नीतियाँ मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देती हैं
3- बड़ी घरेलू मार्केट + निर्यात की अपार संभावनाएँ
4- EV और बैटरी निर्माण का तेजी से बढ़ता इकोसिस्टम
इसी वजह से बड़ी कंपनियाँ भारत में भारी निवेश कर रही हैं।
निवेश कहाँ लगेगा?
1- नए EV मॉडल भारत में बनाए जाएंगे
2- बैटरी मैन्युफैक्चरिंग प्लांट स्थापित होंगे
3- ग्लोबल निर्यात के लिए बड़े प्रोडक्शन यूनिट तैयार होंगे
4- Suzuki भारत में 40 लाख से भी ज्यादा कारें प्रतिवर्ष बनाने की तैयारी में है
इससे भारत न सिर्फ अपनी घरेलू जरूरतों को पूरा करेगा, बल्कि दुनिया के कई देशों में एक्सपोर्ट भी करेगा।
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भारत को क्या फायदा?
1- लाखों नई नौकरियाँ
2- भारतीय ऑटो सेक्टर की मजबूती
3- मेड इन इंडिया” कारों का वैश्विक स्तर पर बढ़ता प्रभाव
4- EV सेक्टर में तेज़ प्रगति
5- विदेशी निवेश का बड़ा प्रवाह
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निष्कर्ष
Toyota और Suzuki का चीन से हटकर भारत में 11 बिलियन डॉलर लगाना न सिर्फ बड़ी कंपनियों की रणनीति है, बल्कि भारत की क्षमता का प्रमाण भी है। आने वाले वर्षों में भारत दुनिया की सबसे बड़ी ऑटो मैन्युफैक्चरिंग हब बन सकता है।
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